Ayodhya Verdict: राम मंदिर का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट ने 2.77 एकड़ भूमि राम लला विराजमान को सौंपी, जानें पूरा फैसला

अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि सुप्रीम कोर्ट ने राम लला विराजमान को सौंपी (Pic Credit: Twitter)

सदियों पुराने अयोध्या विवाद का शनिवार को पटाक्षेप हो गया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में सप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद का फैसला सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट ने राम लला विराजमान को सौंपी 2.77 एकड़ की भूमि

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या की 2.77 एकड़ भूमि को रामलाल विराजमान को देने का फैसला सुनाया, जिससे इस स्थल पर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है।

कोर्ट ने साथ ही केंद्र सरकार को मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने के अंदर ट्रस्ट के निर्माण का आदेश भी दिया है।

वहीं कोर्ट ने इस मामले में मुस्लिमों के पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में किसी प्रमुख स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन दिए जाने का भी आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड का दावा भी खारिज कर दिया।

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रमुख बातें:

1.कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा का मालिकाना हक का दावा खारिज किया।

2.कोर्ट ने कहा कि एएसआई (पुरातत्व विभाग) की रिपोर्ट को नजरअंदाज नहीं किया सकता।

3.एएसआई की रिपोर्ट दिखाती है कि बाबरी मस्जिद किसी खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी। जमीन के नीचे की सरंचना इस्लामिक नहीं थी।

4.हिदुओं की आस्था कि ये भगवान राम का जन्म स्थल निर्विवाद है।

5.राम जन्मभूमि का कोई कानूनी व्यक्तित्व नहीं है, लेकिन राम लला, देवता का कानूनी व्यक्तित्व है।

6.सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित स्थल पर अपना मालिकाना हक नहीं साबित कर सका। इस बात के सबूत हैं कि हिंदू उस स्थल पर 1857 से पहले भी जाते थे।

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