क्या हार्ट अटैक होता है पुरुषों की तुलना में महिलाओं के दिल पर ज्यादा भारी? जानिए
हाल के वर्षों में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा है (Pic Credit: Twitter)
हार्ट अटैक या दिल का दौरा पड़ने की समस्या आजकल के समय में बढ़ती जा रही है। भागदौड़ और तनाव से भरी जीवनशैली ने लोगों में दिल की बीमारी का खतरा कई गुना बढ़ा दिया है।
पहले माना जाता है था कि हृदय रोग का खतरा केवल बुर्जुगों को होता है लेकिन अब तो युवाओं में भी न केवल दिल की बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं बल्कि हार्ट अटैक की वजह से मौत के मामले भी काफी बढ़ गए हैं।
दिल की बीमारी को लेकर आम धारणा ये है कि पुरुषों में हार्ट अटैक का खतरा महिलाओं से ज्यादा रहता है और दिल की बीमारी से महिलाओं से ज्यादा पुरुष प्रभावित होते हैं। लेकिन क्या ये बात सच है? आइए जानते हैं।
क्या महिलाओं में होता है पुरुषों की अपेक्षा हार्ट अटैक का कम खतरा?
ज्यादातर महिलाओं का मानना है कि उनमें पुरुषों की अपेक्षा हार्ट अटैक का खतरा कम होता है। लेकिन ये सच नहीं है। टाइम की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकन हार्ट असोसिएशन (AHA) की रिपोर्ट के मुताबिक, अब हर साल दिल की बीमारी से पीड़ित हर 3 में से एक महिला की मौत होती है जबकि इसकी तुलना में ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हर 30 में से केवल एक महिला की मौत होती है। ये आंकड़े दिल की बीमारी को महिलाओँ के लिए खतरनाक नहीं मानने वालों के लिए आंखें खोल देने वाले हैं।
80 के दशक तक वाकई पुरुषों में हार्ट अटैक का खतरा महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा होता है। लेकिन उसके बाद महिलाओं की लाइफ स्टाइल में भी तेजी से बदलाव आया और वह भी पुरुषों की तरह घर से बाहर काम के लिए जाने लगीं। लेकिन इससे उनकी घर की जिम्मेदारियां कम नहीं हुई, नतीजा तनाव, मानसिक दबाव, चिड़चिड़ेपन और खुद का ख्याल न रखने के रूप में सामने आया और उनमें भी तेजी से दिल की बीमारी का खतरा बढ़ा।

महिलाओं में पुरुषों से ज्यादा घातक क्यों होती है दिल की बीमारी
अमेरिकन हार्ट असोसिएशन के मुताबिक, अमेरिका में हर मिनट दिल की बीमारी से एक महिला की मौत होती है। दिल की बीमारी महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही मौत के सबसे प्रमुख कारणों में से है। लेकिन आखिर क्या वजह है कि दिल की बीमारी महिलाओं में पुरुषों से ज्यादा घातक होती है।
फीसदी हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामलों को लाइफस्टाइल में बदलाव से रोका जा सकताहै। लेकिन जब भी हार्ट अटैक होता है तो पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं कम जीवित बच पाती हैं। इसका प्रमुख कारण ये है कि महिलाओं में दिल की बीमारी के लक्षण पुरुषों की तुलना में अलग होते हैं, लेकिन कई बार फिजिशियन इन लक्षणों को समझने में गलती कर जाते हैं।
80 के दशक में भले ही पुरुषों की मौत दिल की बीमारी से महिलाओँ की तुलना में अधिक होती रही हो लेकिन धीरे-धीरे ये अंतर घटता गया और 2000 के दशक के अंत तक तो इस बीमारी से महिला और पुरुष दोनों की मौत का आंकड़ा लगभग बराबरी पर पहुंच गया।
British Heart Foundation की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं में हार्ट अटैक का पता देर से चलता है, इससे उन्हें दूसरा अटैक झेल पाने के लिए जरूरी उपचार नहीं मिल पाता है। साथ ही पुरुषों की तुलना में महिलाओँ में दिल की बीमारी के गलत डायग्नोसिस की संभावना 50 फीसदी ज्यादा रहती है, इससे भी उनमें हार्ट अटैक से मौत का खतरा बढ़ जाता है।
पुरुषों और महिलाओं में अलग-अलग होते हैं दिल की बीमारी के लक्षण
महिलाओं में दिल की बीमारी के ज्यादा घातक होने की एक प्रमुख वजह उनके और पुरुषों में इसके लक्षणों का अलग होना भी है। साथ ही महिलाओं की दिल की बीमारी को लेकर कम रिसर्च और जानकारी भी इसका प्रमुख कारण है।
हालांकि सीने में दर्द और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण महिलाओं और पुरुषों में सामान्य होते हैं, लेकिन महिलाओं में इसके कुछ अलग लक्षण भी हो सकते हैं। मसलन बांह, पीठ, गर्दन, जबड़े या पेट में दर्द जैसे लक्षण पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए दिल की बीमारी का अधिक संकेत देते हैं।
