एजुकेट गर्ल्स बनी रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड पाने वाली पहली भारतीय संस्था

गैर-लाभकारी संस्था एजुकेट गर्ल्स (Educate Girls) रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड पाने वाली भारत की पहली संस्था बन गई है।

Educate Girls Ramon Magsaysay Award

एजुकेट गर्ल्स रमन मैग्सेसे पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय संस्था बन गई है।

Educate Girls win Ramon Magsaysay Award: देश के ग्रामीण इलाकों में लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करने वाली गैर-लाभकारी संस्था एजुकेट गर्ल्स रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड पाने वाली भारत की पहली संस्था बन गई है। एशिया का यह सर्वोच्च सम्मान पहली बार किसी भारतीय संस्था को मिला है।

रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड उन व्यक्तियों और संस्थाओं को दिया जाता है, जिन्होंने साहस और नयेपन के साथ समाज में गहरा बदलाव लाने का काम किया हो। इस साल भारत की एजुकेट गर्ल्स के साथ मालदीव की शाहिना अली और फिलीपींस के फादर फ्लावियानो एल. विलनुएवा को भी यह पुरस्कार मिला है।

रेमन मैग्सेसे पुरस्कार फाउंडेशन (आरएमएएफ) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि ‘फाउंडेशन टू एजुकेट गर्ल्स ग्लोबली’, जिसे व्यापक रूप से ‘एजुकेट गर्ल्स’ के नाम से जाना जाता है, ने रेमन मैग्सायसाय पुरस्कार प्राप्त करने वाला पहला भारतीय संगठन बनकर इतिहास रच दिया है।

अब एजुकेट गर्ल्स का नाम उन महान हस्तियों की सूची में शामिल हो गया है, जिनमें सत्यजीत रे, एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी, किरण बेदी, विनोबा भावे, दलाई लामा, मदर टेरेसा और ऑस्कर विजेता हायाओ मियाज़ाकी जैसे दिग्गज शामिल हैं।

एजुकेट गर्ल्स और भारत के लिए ऐतिहासिक पल: सफीना हुसैन

एजुकेट गर्ल्स को मैग्सेसे पुरस्कार मिलने पर संस्था की संस्थापिक सफीना हुसैन ने कहा, “यह हमारे लिए और भारत के लिए ऐतिहासिक पल है। यह सम्मान भारत के उस जन-आंदोलन जैसी मुहिम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाता है, जो सबसे दूरदराज़ गांव की एक बच्ची से शुरू हुई और अब लाखों बच्चियों की ज़िंदगी बदल चुकी है।‘’

सफीना ने कहा, ‘’यह अवॉर्ड हमारे समर्पित टीम बालिका वालंटियर्स, सहयोगी संस्थाओं , समर्थकों और सबसे बढ़कर उन लाखों बच्चियों के नाम है, जिन्होंने अपना हक – शिक्षा – वापस पाया। अगले दस सालों में हम एक करोड़ से भी ज़्यादा शिक्षार्थियों  तक पहुँचने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं और भारत के  इस मॉडल को दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी साझा करना चाहते हैं। हमें पूरा यकीन है कि जब एक लड़की पढ़ती है, तो वह कई औरों को साथ लेकर आगे बढ़ती है और पूरे समाज में बदलाव लाती है।”

एजुकेट गर्ल्स की सीईओ गायत्री नायर लोबो ने कहा:  “हमारे लिए शिक्षा केवल विकास का साधन नहीं, बल्कि हर लड़की का बुनियादी अधिकार है। यह सम्मान बताता है कि जब सरकार, कॉरपोरेट, परोपकारी संस्थाएं और समुदाय मिलकर काम करते हैं, तो गहरी सामाजिक और संरचनात्मक चुनौतियों को बदला जा सकता है। हम भारत सरकार के प्रयासों और सहयोग के लिए आभारी हैं, जिन्होंने इस मिशन को संभव बनाया। साथ ही, मालदीव की शाहिना अली और फिलीपींस के फादर फ्लावियानो विलनुएवा को भी हार्दिक बधाई, जिनके काम ने हम सभी को प्रेरित किया है।”

20 लाख बच्चियों की मदद कर चुका है एजुकेट गर्ल्स

2007 में बनी एजुकेट गर्ल्स अब तक 30 हजार से ज्यादा गांवों में काम कर चुकी है। 55,000 से अधिक सामुदायिक वालंटियर्स (टीम बालिका) की मदद से इसने 20 लाख से ज्यादा बच्चियों को स्कूल वापस लाने और 24 लाख से अधिक बच्चों की बेहतर पढ़ाई में मदद दी है। आने वाले समय में संस्था का लक्ष्य है कि एक करोड़ से अधिक बच्चों तक पहुंचा जाए और शिक्षा के जरिए गरीबी और अशिक्षा के चक्र को तोड़ा जाए।

2025 के बाकी रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड विजेताओं में मालदीव की शाहिना अली और फिलीपींस के फादर फ्लावियानो एंटोनियो एल. विलनुएवा शामिल हैं। शाहिना अली को प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ उनकी लड़ाई और मालदीव के नाजुक समुद्री तंत्र को बचाने के लिए सम्मानित किया गया है। वहीं फादर विलनुएवा को मनीला के हजारों बेघर और गरीब लोगों की गरिमा बहाल करने के लिए यह अवॉर्ड मिला है।

 

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